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Sonam Wangchuk: 19 दिन के भूख हडताल के बाद भी दिल्ली नही पहुँची सोनम वांगचुक की आवाज, जानिये कौन हैं सोनम वांगचुक और उनकी सरकार से क्या मांगे हैं | Why Sonam Wangchuk Protesting in Ladakh

 

Sonam Wangchuk: 19 दिन के भूख हडताल के बाद भी दिल्ली नही पहुॅंची सोनम वांगचुक की आवाज, जानिये कौन हैं सोनम वांगचुक और उनकी सरकार से क्या मांगे हैं | Why Sonam Wangchuk Protesting in Ladakh

भारत के केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख़ में 19 दिन से भूख हडताल पर बैठे सोनम वांगचुक वहीं है जिनसे 3 इडियट मूवी में आमिर खान का किरदार प्रेरित था। 19 दिन की निरंतर भूख हडताल के बाद भी क्रेन्द सरकार का ध्यान उनकी तरफ नही जा रहा है। लगभग 2000 से ज्यादा लोग उनसे मिल चुके हैं।


कौन हैं सोनम वांगचुक ?


सोनम वांगचुक एक मैकेनिकल इंजीनियर, इनोवेटर, पर्यावरणविद और शिक्षा सुधारक हैं। हिट मूवी 3 इडियट में आमिर खान का किरदार इनसे ही प्रेरित है। इनके काम के लिए 2019 में इन्हें रेमन मैग्सेसे पुरूस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। फरवरी 2014 तक, सोनम वांगचुक ने सफलतापूर्वक विभिन्न बर्फ स्तूपों का दो मंजिला प्रोटोटाइप बनाया था जो लगभग 150,000 लीटर धारा जल को संग्रहीत कर सकता था। 2016 में, वांगचुक ने उच्च ऊंचाई वाली ग्लेशियर झीलों पर उत्कृष्ट आपदा शमन रणनीतियों के लिए ‘बर्फ स्तूप’ तकनीक को लागू करना शुरू किया।


सरकार से इनकी क्या मांगे हैं  ?


1. लद्दाख़ को राज्य का दर्जा दिया जाये।

2. वहां के लोगों के लिये नौकरी

3. उनकी जमीन की सुरक्षा और देश के जनजातीय क्षेत्रों के लिए स्वायत्त्ता की गारंटी। क्योंकि आये दिन चीन भी वहां जमीन कब्जा करता जा रहा है।

4. लेह और कारगिल के अलग-अलग लोकसभा सीट हो।

5. औद्योगिक और खनन लॉबी से पारिस्थितिक रूप से नाजुक लद्दाख के पारिस्थितिकी तंत्र की      सुरक्षा।


उन्होंने ट्विटर (एक्स) पर वीडियो अपलोड किया और कहा कि हिमालय के ग्लेसियर पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। और लद्दाख में हमारे स्वचालित कृत्रिम ग्लेशियर इस समस्या का समाधान नहीं कर सकते। लेकिन आप कर सकते हैं…”


हैरानी बात यह है कि आज 19 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक केन्द्र सरकार की तरफ से कोई जबाव नही आया है। वीडियो में देखकर पता लग रहा है कि उनकी तबीयत दिन प्रतिदिन बिगडती ही जा रही है। अभी कुछ समय में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं शायद चुनावों में इसका कुछ असर देखने को मिल सकता है। वैसे देखा जाये तो उनकी मांगे सही कही जा सकती हैं लेकिन इसका निर्णय तो सरकार द्वारा ही लिया जाना है। देखना होगा केन्द्र सरकार इस पर चुप्पी बनाए रखती है या इसका कोई निवारण किया जायेगा।

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